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Home»छत्तीसगढ़»Breaking news – वन विभाग में अब नया कांड: वन भैंसों की आड़ में वन विभाग में हो गया ड्रग घोटाला, जिस ड्रग की हुई हेराफेरी, उसे सूंघने भर से आदमी की हो जाती है मौत
छत्तीसगढ़

Breaking news – वन विभाग में अब नया कांड: वन भैंसों की आड़ में वन विभाग में हो गया ड्रग घोटाला, जिस ड्रग की हुई हेराफेरी, उसे सूंघने भर से आदमी की हो जाती है मौत

Sponsored By: TIKANAND KHARANSHUMarch 19, 2025No Comments6 Mins Read
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रायपुर।   जिस फेंटानाईल नामक नशे की ड्रग को लेकर अमरीका का कनाडा, मेक्सिको और चीन के साथ ट्रेड वार चालू हुआ वो मार्फीन से सिर्फ 50 गुना शक्तिशाली होती है, परन्तु जिस Etorphine (इथोर्फिन) नाम की एक नारकोटिक ड्रग की छत्तीसगढ़ वन विभाग में हेराफेरी हुई है वह मार्फीन से 3000 गुना शक्तिशाली होती है। Etorphine (इथोर्फिन) को बड़े वन्य जीवों को बेहोश करने के काम में लाया जाता है। सिर्फ 1.3 मिलीलीटर लगाने से हाथी बेहोश हो जाता है, 0.8 मिलीलीटर से वन भैंसा। यह Narcotics Drugs and Phchotropic Substances Act,1985 ( मादक-द्रव्यों एंव मनोउत्तेजक पदार्थ अधिनियम ) के तहत अधिसूचित ड्रग है और बिना लाइसेंस के इसे प्राप्त कर उपयोग करना और लाइसेंस होने पर शर्तों का पालन नहीं करना अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बारे में कहा जाता है कि इसे सूंघने से या चमड़ी पर गिरने से भी मानव की मौत हो सकती है। यह मार्फीन से 3000 गुना शक्तिशाली होने के कारण इसकी कीमत ब्लैक मारकेट में प्रति एमएल लाखों तक हो सकती है। यह अफ्रीका से आयत की जाती है।

हालांकि वन विभाग में ड्रग की हुई हेराफेरी के बारे में जब अधिकारियों से जानकारी चाही गयी, तो कोई भी जिम्मेदार अधिकारी ने कॉल रिसीव नहीं किया।

Etorphine और ऐसी ही अन्य ड्रग की छत्तीसगढ़ वन विभाग में व्यापक हेराफेरी का आरोप लगाया गया है। जिसमें बिना लाइसेंस के यह ड्रग प्राप्त करना, बिना अनुमति के दूसरों को देना और लाइसेंस मिलने के बाद भी बिना डायरेक्टर जंगल सफारी (लाइसेंसी) की जानकारी के, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के आदेश पर, वन्यप्राणी चिकित्सक द्वारा यह ड्रग स्टॉक से निकाली और ज्यादा उपयोग बताया गया और लाइसेंस की शर्तो का उलंघन कर इसका उपयोग हुआ। इन सब को लेकर वन्यजीव प्रेमी ने शासन से पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कर डायरेक्टर जनरल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को मामला सौपने की मांग की है।

बिना लाइसेंस के Etorphine प्राप्त करना और दूसरे राज्य को दे देना

वर्ष 2019-20 में छत्तीसगढ़ वन विभाग के पास छत्तीसगढ़ में Etorphine और ऐसी अन्य ड्रग रखने और उपयोग में लाने का कोई लाइसेंस नहीं था। फिर भी दुधवा टाइगर रिज़र्व से और भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून से जनवरी और फ़रवरी 2020 में 10 मिलीलीटर Etorphine बुलाया गया। फ़रवरी 2020 में वन विभाग ने असम के मानस टाइगर रिज़र्व में छत्तीसगढ़ लाने के लिए दो वन भैंसे पकडे। एक वन भैंसे को पकड़ने में अधिकतम 0.8 एमएल Etorphine लगता है। इस प्रकार दो वन भैंसों के लिए कुल 1.6 एमएल Etorphine की जरुरत हो सकती है। परन्तु स्टॉक रजिस्टर से असम से 2020 में वन भैसा पकड़ने के नाम से 7.8 एमएल Etorphine निकालना बताया गया। इस प्रकार 6.2 एमएल की खपत ज्यादा बताई गई। असम में उपयोग की गई 7.8 एमएल Etorphine के उपयोग के बारे में बताया गया कि उपयोग की गई औषधि से सम्बंधित जानकारी मानस टाइगर रिज़र्व असम के पास है। डायरेक्टर जंगल सफारी ने बताया है कि दूसरे राज्य को Etorphine देने के उच्च अधिकारियों द्वारा या डायरेक्टर जंगल सफारी द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किये गए हैं और असम को Etorphine हैण्ड ओवर करने की कोई पावती नहीं है और उन्हें नहीं पता कि असम को कितनी मात्रा में Etorphine दी गई।

सिर्फ जंगल सफारी के लिए लाइसेंस और ले गए असम, लाइसेंस की शर्तों की धज्जियां उड़ी

जंगल सफारी के डायरेक्टर के नाम से सबसे पहली बार छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग ने अगस्त 2021 में Ethorpin और अन्य ड्रग का सिर्फ जंगल सफारी के परिसर में उपयोग हेतु लाइसेंस जारी किया। अनिवार्य शर्त थी कि सिर्फ जंगल सफारी परिसर में उपयोग होगा अन्यंत्र नहीं। दूसरी शर्त थी कि डायरेक्टर जंगल सफारी ड्रग अनुमोदित चिकित्सक से नुस्खा (प्रिस्क्रिप्शन) प्राप्त होने के बाद ही देंगे और प्रिस्क्रिप्शन रिकॉर्ड में रखंगे। शर्तों की पूरी जानकारी होने के बाद भी मार्च 2023 में वर्तमान प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने असम से चार और वन भैंसा लाने के कमेटी गठन का आदेश जारी किया, जिसमें वन्यप्राणी चिकित्सकों का नाम लेकर आदेशित किया कि वन्यप्राणी चिकित्सक बेहोश करने की दवा अपने साथ ले कर जायेंगें। वन्यप्राणी चिकित्सकों ने डायरेक्टर जंगल सफारी को कोई प्रिस्क्रिप्शन नहीं दिया और ड्रग्स ले कर चले गए। वहां चार वन भैसों को बेहोश करने के लिए 2.50 एमएल Ethorpin का उपयोग किया गया, परन्तु स्टॉक में 3.2 एमएल निकालना बताया गया यानि 0.7 एमएल अधिक। इस प्रकार से Ethorpin और अन्य ड्रग्स कई बार अन्य जिलों में हाथियों को बेहोश करने के लिए भी स्टॉक से निकली गई। जंगल सफारी के दस्तावेज बताते है कि डायरेक्टर जंगल सफारी के पास कोई भी प्रिस्क्रिप्शन नहीं है। हर बार वर्तमान प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के आदेश के बाद वन्यप्राणी चिकित्सक बिना डायरेक्टर जंगल सफारी की अनुमति के ड्रग्स निकालते थे।

कितना जरुरी है शर्तों का पालन करना? उपायुक्त आबकारी ने Ethorpin बलौदा बाजार नहीं ले जाने दी

इस मामले में पत्र लिखने वाने वन्यजीव प्रेमी रायपुर के नितिन सिंघवी ने बताया कि 2023 के अंत तक तत्कालीन डायरेक्टर जंगल सफारी को समझ आ गया था कि वर्तमान प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से सीधे आदेश प्राप्त करने के बाद उनको (डायरेक्टर को) बताये बिना ड्रग्स स्टॉक से निकाल ली जाती है। 2023 के अंतिम महीनों में 40 गौर को बारनवापारा अभ्यारण से गुरु घासीदास नेशनल पार्क ले जाने का प्लान बना। बारनवापारा अभ्यारण बलोदा बाज़ार जिले में आता है, इसलिए डायरेक्टर जंगल सफारी ने उपायुक्त आबकारी रायपुर से बारनवापारा अभ्यारण में ड्रग के उपयोग की अनुमति मांगी। परन्तु उपायुक्त आबकारी रायपुर ने अनुमति नहीं दी क्यों कि उपायुक्त आबकारी ने लाइसेंस सिर्फ जंगल सफारी परिसर में उपयोग हेतु दिया था। उपायुक्त ने कहा कि उनके द्वारा दूसरे जिलों के लिए अनुमति नहीं दी जाती। सिंघवी ने बताया कि उपायुक्त द्वारा अनुमति नहीं दिया जाना बताता है कि शर्तों का पालन करना कितना अनिवार्य था जिसके तहत सिर्फ जंगल सफारी परिसर ने Ethorpin का उपयोग किया जा सकता था परन्तु वन विभाग असम तक Ethorpin ले कर चला गया ।

सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से पूछा कि जब उन्हें लाइसेंस की शर्तों की पूरी जानकारी थी कि ड्रग का उपयोग सिर्फ जंगल सफारी परिसर नया रायपुर में हो सकता है तब उन्होंने ड्रग को जंगल सफारी से बहार असम और दूसरे जिलों में ले जाने का आदेश वन्यप्राणी चिकित्सक को क्यों दिया? 2020 और 2023 में अतिरिक्त खपत बताई गई ड्रग्स कहां गई?

 

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