धमतरी की घटना चेतावनी है—अगर अब भी नहीं जागे तो यह जहर हर मोहल्ले में फैल जाएगा
धमतरी की घटना सिर्फ कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि समाज को हिला देने वाला सच है। अब नशे का रूप बदल चुका है। शराब तो लंबे समय से समस्या रही है, लेकिन अब सूखा नशा—ड्रग्स, पाउडर, गांजा और सिंथेटिक नशे—तेजी से फैल रहे हैं। यह नशा ज्यादा खतरनाक है क्योंकि यह छुपकर, कॉलेजों और मोहल्लों के भीतर, सीधे युवाओं की नसों में उतर रहा है।
आज जिन तीन युवकों पर हत्या का आरोप है, वे उसी रास्ते के शिकार हैं जहाँ नशे की गिरफ्त इंसान को सही और गलत का फर्क भुला देती है। यह सिर्फ पुलिस का मामला नहीं, यह हर घर का सवाल है।
“सूखा नशा शराब से भी ज्यादा खतरनाक है—यह दिमाग को खोखला कर देता है और अपराध की ओर धकेलता है।”
कानून से ज्यादा जरूरी है समाज की सतर्कता
पुलिस कार्रवाई कर सकती है, सरकार सख्त कानून बना सकती है और तस्करों को पकड़ सकती है। लेकिन सूखा नशा इतनी तेजी और गुपचुप तरीके से फैल रहा है कि सिर्फ कानून से इसे रोकना मुश्किल है। यह जहर स्कूली बच्चों, कॉलेज के युवाओं और बेरोजगार लड़कों तक पहुँच रहा है। हमें यह समझना होगा कि समाज जागरूक हुए बिना यह समस्या खत्म नहीं होगी।
“नशे का असली कारोबार गली-मोहल्ले और सोशल नेटवर्क के जरिए चलता है, सिर्फ छापे मारने से इसे नहीं रोका जा सकता।”
माता-पिता की भूमिका सबसे अहम
सूखा नशा खतरनाक इसलिए भी है क्योंकि इसे छुपाना आसान है—इसमें गंध नहीं होती, बोतलें नहीं मिलतीं, और यह जेब में आसानी से आ जाता है। बच्चों में अचानक बदलाव, नई संगत, चिड़चिड़ापन, पढ़ाई में गिरावट या खर्च का बढ़ना—ये सभी संकेत हो सकते हैं। माता-पिता को सतर्क रहना होगा। केवल पैसे और सुविधा देना काफी नहीं है, संवाद, निगरानी और समझ बेहद जरूरी है।
चुप्पी भी अपराध है
अगर आपके मोहल्ले में या जान-पहचान में कोई युवक नशे की चपेट में है और आप चुप रहते हैं, तो यह भी अपराध में भागीदारी जैसा है। हमें बोलना होगा, टोकना होगा और रोकना होगा। सूखा नशा जितनी तेजी से फैल रहा है, उतनी ही तेजी से समाज को भी प्रतिक्रिया देनी होगी।
वह छत्तीसगढ़ जिसकी पहचान संस्कृति हो, न कि नशा
आइए, हम संकल्प लें कि ड्रग्स, पाउडर और सिंथेटिक नशे का इस राज्य में कोई स्थान नहीं होगा। शराब की पुरानी समस्या से भी सख्ती से निपटना जरूरी है, लेकिन सबसे पहले इस नए जहर को रोकना होगा। पुलिस और कानून अपना काम करेंगे, लेकिन हमें भी अपने घर, मोहल्ले और शहर को बचाने के लिए कदम उठाने होंगे। तभी हम वह छत्तीसगढ़ बना पाएँगे जिसकी पहचान उसके गीत, उसकी संस्कृति और उसके मेहनतकश लोग हैं—न कि अपराध और नशा।
“सूखा नशा सिर्फ इंसान को नहीं, पूरी पीढ़ी को खत्म कर देता है।”