छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया है। इन सभी अधिकारियों को शुक्रवार को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जिसके बाद देर शाम उन्हें हिरासत में ले लिया गया। आज, इन सभी आरोपियों को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगी जाएगी।
गिरफ्तार अधिकारियों के नाम:
गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में CGMSC के महाप्रबंधक तकनीशियन बसंत कौशिक, जीएम तकनीशियन कमलकांत पाटनवार, बायोमेडिकल इंजीनियर क्षिरौंद्र रावटिया, स्वास्थ्य विभाग स्टोर इंचार्ज डॉ. अनिल परसाई और आनंद राव शामिल हैं।
411 करोड़ का घोटाला, 750 करोड़ की अनियमित खरीदी
इस घोटाले में सरकार को 411 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। मामले में IAS और IFS अधिकारियों समेत अन्य अफसरों की मिलीभगत सामने आई है। महज 27 दिनों के भीतर 750 करोड़ रुपये की खरीदारी कर ली गई, जिससे सरकारी खजाने पर भारी असर पड़ा। CGMSC ने कई निजी कंपनियों के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम दिया। इनमें मोक्षित कॉर्पोरेशन, रिकॉर्ड्स एवं मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कॉर्पोरेशन शामिल हैं।
इन कंपनियों ने मेडिकल उपकरणों को बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमत पर खरीदा। उदाहरण के लिए, 8 रुपये में मिलने वाली EDTA ट्यूब को 2,352 रुपये में खरीदा गया, जबकि 5 लाख की CBS मशीन 17 लाख में खरीदी गई। इतना ही नहीं, मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन ने 300 करोड़ रुपये के रीएजेंट भी खरीदे।
EOW पहले ही मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर रिमांड पर ले चुका है। EOW और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) इस पूरे मामले की गहनता से जांच कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में हुए इस महाघोटाले ने स्वास्थ्य विभाग की पारदर्शिता और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि सरकार और जांच एजेंसियां इस मामले में और कौन-कौन से बड़े नाम उजागर करती हैं।